मज़ाक़-मज़ाक़ में अखिलेश | On Akhilesh’s Wit



अखिलेश यादव इतना हंसाते क्यों हैं? वे भारत के अकेले सीरियस नेता हैं जिन्हें हंसाना आता है। विपक्ष के नेताओं ने न सिर्फ़ जेल के डर, एजेंसियों के दमन और मीडिया की नफ़रत के ख़िलाफ़ अपने भाषणों को धार दी है, बल्कि जनता से संवाद की एक ऐसी शैली भी विकसित करने की कोशिश की है जो प्रधानमंत्री की शैली से साफ़ रूप से अलग दिखाई दे। इस शैली में विपक्ष के नेताओं ने हास्य-व्यंग्य को एक ऐसा हथियार बनाया है जो प्रधानमंत्री के पास उस सहजता से मौजूद नहीं है। अखिलेश सीरियस होते हुए भी हंसा देते हैं। बोलने लगते हैं तो पता नहीं चलता कि कब हंसने लग जाएँगे या हंसा देंगे, और मज़ाक़-मज़ाक़ में वो कह जाएँगे जो मीडिया से सिरे से ग़ायब है। अखिलेश की इस शैली पर सीरियस वीडियो बनाना अपने आप में मुश्किल काम है, पर उम्मीद है आपको हमारे विश्लेषण में कुछ नया जानने को मिलेगा। वीडियो पूरा देखिएगा।

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